पिटारा भानुमती का

फ़रवरी 14, 2007

वैलेण्टाइन दिवस : एक सुविचार

Filed under: अश्रेणीबद्ध — अमित @ 8:09 अपराह्न

फ़ैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा न करें.

-भूल चूक लेनी देनी.

(कृपया उपरोक्त टिप्पणीनुमा विचार को ही पोस्ट की मान्यता प्रदान करें).

4 टिप्पणियां »

  1. नहीं करेंगे मगर कुछ तो लिखो- 🙂

    टिप्पणी द्वारा समीर लाल — फ़रवरी 15, 2007 @ 3:36 अपराह्न | प्रतिक्रिया

  2. प्रदान की, अब?

    टिप्पणी द्वारा राम चन्द्र मिश्र — फ़रवरी 15, 2007 @ 9:31 अपराह्न | प्रतिक्रिया

  3. ………..? :):)

    टिप्पणी द्वारा Divyabh — फ़रवरी 15, 2007 @ 9:38 अपराह्न | प्रतिक्रिया

  4. गारंटी की इच्छा वही करते हैं जो ब्रान्ड के तलबगार होते हैं

    टिप्पणी द्वारा संजीत त्रिपाठी — फ़रवरी 16, 2007 @ 2:43 अपराह्न | प्रतिक्रिया


RSS feed for comments on this post. TrackBack URI

Leave a reply to Divyabh जवाब रद्द करें

वर्डप्रेस (WordPress.com) पर एक स्वतंत्र वेबसाइट या ब्लॉग बनाएँ .